आंटी ने मुझे बंद कमरे में बुलाया और मुझे चूत दी।
नमस्कार मित्रों, मेरा नाम आरव भदौरिया है, उम्र महज 20 बरस। ताज़ा ही स्कूल की पढ़ाई पूरी की है और कॉलेज में दाखिले के लिए दिल्ली पहुँचा हूँ। यहीं से मेरी नई जिंदगी की शुरुआत होगी। ये मेरी असली हॉट स्टोरी है – आंटी को कैसे चोदा, यही आज सबके सामने खोलूँगा।
मैंने तीसरी मंजिल पर एक फ्लैट में कमरा किराए पर लिया। कुल दो ही कमरे हैं। एक में मैं ठहरा हूँ, दूसरे में सविता आंटी रहती हैं, जिनके दो बच्चे हैं। आंटी का बदन? उफ्फ, उनकी गांड इतनी भारी-भरकम कि एक नज़र में ही लंड खड़ा हो जाए, मुठ मारने को जी न करे!
मैं तो पोर्न मूवीज़ का दीवाना हूँ, अंतर्वासना की गर्म कहानियाँ पढ़-पढ़कर चुदाई के हर फंडे सीख चुका। आंटी के स्तनों की बात लूँ तो – वो गोल-मटोल, लुभावने, जैसे दबाकर चूस लूँ और हर बूंद दूध निचोड़ लूँ। फिगर? 32-30-36 का कमाल। उनका पति कमजोर-सा, बीमारियों का शिकार, ज्यादातर अस्पताल में ही पड़ा रहता। बच्चे? वो तो गाँव में नाना-नानी के पास हैं। घर में सिर्फ आंटी अकेली,
सिलाई-कढ़ाई का काम संभालतीं।
मैं तो हमेशा चुदाई की भूखा रहता, लेकिन आज तक मौका न मिला तो लंड लटकता ही रहा। जब कड़ा हो जाता, मुठ मारकर शांत कर लेता। रोज़ तेल मलकर लंड को 7 इंच लंबा-मोटा बना लिया। जिम जाता, दवाइयाँ खाता – ताकि लंड अफ्रीकी बुल से भी ज़्यादा ताकतवर हो जाए। कॉलेज शुरू होने में अभी महीना बाकी, तो घर बैठे लंड की ट्रेनिंग चला रहा।
बाथरूम? सिर्फ एक ही, हम दोनों शेयर करते। आंटी सुबह-सुबह नहा लेतीं। एक रोज़ नींद खुली, मूत्र त्यागने बाथरूम भागा। दरवाज़ा खुला पड़ा था। अंदर घुसा तो आँखें फटी की फटी रह गईं! आंटी तौलिए में लिपटी, काली पैंटी पहन रही थीं। स्तन तौलिए से बाहर झाँक रहे, चूत काले घने बालों से मुंडेर। साफ था – आंटी को लंबे अर्से से कड़ी चुदाई न मिली। मेरा लंड पजामे में साँप-सा फुफकार उठा। शरीर में 440 वोल्ट का झटका दौड़ा – सालों की प्यास जागी!
आंटी ने मुझे देखा, झट से आधा दरवाज़ा बंद किया – "रुको बाहर... कपड़े बदल रही हूँ।" लेकिन मैं आधा अंदर पहुँच चुका। स्वर्ग की परी के दर्शन हो गए। उनकी आवाज़ पर रुक गया, लंड दबाकर शांत किया। हलचल में आंटी तौलिए में बाहर निकलीं। पहली बार किसी आंटी को इतने करीब देखा। उनकी नज़र मेरे उभरे लंड पर पड़ी, शरमा कर कमरे में भागीं। मैं भी लज्जित हो मूत्र त्यागा, फिर अपने कमरे लौटा। हमारे कमरे सटे हुए।
एक-दो दिन ऐसे ही कटे। लेकिन आँखों से उनके नंगे स्तन, गांड, गर्म तन न हटे। स्तनों पर वो काला तिल – लंड को बार-बार उत्तेजित कर रहा। रात ढली। मार्केट घूमा, फिर मेडिकल स्टोर पर पहुँचा। दो कंडोम पैक, सांडे का तेल, 100 एमजी वाली वायग्रा, और कामोत्तेजक दवा खरीदी।
उस रात खाना न बनाया। शायद आंटी को भनक थी। उन्होंने खीर पकाई, मुझे बुलाया। खरीदी चीज़ें घर भूल आया, उनके कमरे पहुँचा। अचानक बेमौसम बारिश। दरवाज़ा बंद करने को कहा। मैंने लगाया, अंदर बैठा। खीर परोसी, स्वाद लेते रहे। आंटी ने पति के बारे में खोला। रात भर गपशप चली। सर्दी का असर, ठंडक बढ़ी। आंटी साड़ी में – वाह, क्या धमाल! मन कर रहा था, बेडरूम ले जाकर रातभर पेल दूँ।
तभी आंटी को पेशाब आया, बाथरूम गईं। लौटीं तो नीली नाइटि में। बदन साफ झलक रहा। मेरा लंड बेकाबू। खाना खत्म, हम बैठे। सिगरेट की लत है मुझे, आंटी जानतीं – लेकिन उनके सामने न पी। सिगरेट जेब में न थी, बाहर लाने सोचा। उठा तो आंटी बोलीं – "बारिश है, भीग जाओगे।" मैंने कहा – "दो मिनट में लौटूँगा।" "सिगरेट लेने ही तो जाना, मैं दे दूँ!" हैरान – आंटी के पास? क्या वो भी...? मुस्कुराईं, दराज से डिब्बा-लाइटर निकाला – "एक मेरे लिए भी जला दो!" पक्का – आंटी भी स्मोकर। सिगरेट बढ़ाई। फिर धमाका – "आज रात यहीं सो जाओ!" विस्मय से देखा, फिर उनकी सिगरेट जलाई। कश लिया, धुआँ उड़ाया, इशारे से बेडरूम। आँखों की चमक देखी, हामी भरी।
बेडरूम में याद आया – कामोत्तेजक दवा। जेब से निकाली, पानी में घोला, बाहर आकर आंटी को पिलाया। उन्होंने मुस्कुरा कर पूरा पिया – समझ गईं। घर में डबल बेड और दो सिंगल। मैं सिंगल पर लेटा, इंतज़ार। आंटी डबल पर, लाइट बंद, नीली जीरो वाट जलाई। लगा किसी रेड लाइट एरिया में हूँ – आज रंडी की चूत-गांड मिलेगी! सोचा पहल करूँगा, लेकिन आंटी उठीं – "मेरे पास आओ, बारिश-बिजली से डर लगता है।" मौका लपका, उनके बेड पर।
अब बर्दाश्त न हुआ। जेब से गोली निकाली, निगल ली। लंड पूरी तरह तन गया। आंटी की खुशबू से मदहोशी। नज़रें चुराईं, पजामा खोला, सांडे का तेल लंड पर मला। आंटी उठीं, मोटे लंड देखा – समझ गईं। लंड पकड़ा – "मैं तैयार, चोद दो मुझे।" मंजूरी मिली। सरक गया, नाइटि उतारी। उफ्फ... कमर, गांड, दूध, सब कमाल! दो गोलियाँ निकालीं – एक आंटी को, एक खुद। होंठों पर किस, हर अंग चूमा-चाटा-चूसा। आंटी चीखीं – "आह... मरवा दो... चोदो, चूत फाड़ दो!" ब्रा उतारी, स्तनों को चूसा-चाटा।
मेरा कच्छा खुला, नंगा। आंटी ब्रालेस, काली पैंटी में। पैंटी फेंकी। वाह नज़ारा! मन 69 में चूत चूसकर पेलने का, रंडी को मरवाने का। हर कोना अपना बनाना था। आंटी बोलीं – "चोद ना हरामी... उस दिन से तेरे लंड की भूखी। चूसकर खा जाऊँगी! आज चूत का रस पियो, माल मेरी चूत में डालो – तेरे बच्चे की माँ बनूँगी! अंकल तो नामर्द भड़वे।" लंड मुँह में ठूँसा, धक्के मारे। 20 मिनट बाद आंटी रोईं-सी। रुका, बेड पर पटका, टाँगें उठाईं, चोदना शुरू। चीखें गूँजीं, आधा घंटा बिना रुके। टोपा खुला, आसान स्लाइड। अब डॉगी का मन। कुतिया बनने को कहा, वो तैयार। तेल गांड पर, लंड पर – गांड मारी। आधा घंटा बाद बोलीं – "मारेगा क्या? छोड़... कल चोदना, अब तेरी हूँ।" "आज निचोड़ दूँगा।" डॉगी में फिर चुदाई। दवा से जोश हाई। सुबह 4 बजे। हर पोज़िशन आजमाई। चूत चाटी, लंड घुसेड़ा, रफ्तार बढ़ाई। वीर्य चूत में झाड़ा। आंटी थककर सो गईं। मैं नंगा चिपककर।
अगले दिन से मस्ती की चुदाई। मेरी ये आंटी चोदाई वाली कहानी कैसी लगी? ज़रूर बताओ।
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